09-12-2015, 02:13 PM
gujarati essay on women empowerment
यों तो नारी सशक्तीकरण का नारा हर राजनेता, राजनीतिक पार्टी और समाज सुधारक लगाता है, लेकिन इसका सजीव उदाहरण हमें गुजरात में देखने को मिलता है।
ऐसा बिलकुल नही है कि आज मेरे उपर Vibrant Gujarat का रंग चढा हुआ है या मै नरेन्द्र मोदी का चाहने वाला हूँ। नारी सशक्तीकरण की दिशा में गुजरात मे राजनीतिक ईच्छा शक्ति की हालत का मुझे पता नही है। मेरे हिसाब से गुजरात की सशक्त नारी के पीछे है वहाँ का सामाजिक परिवेश।
गुजरात एक ऐसा राज्य है जहाँ से काफी पुरूष काम काज के सिलसिले में विदेश चले जाते हैं। मजबुरन औरतों को घर से बाहर कदम निकालना पडता है, कभी बच्चों के लिये तो कभी घर के दैनिक काम-काज के लिये। धीरे-धीरे उनका आत्मविशवास और स्वाभिमान बढने लगता है। ऐसा कई दशको से चल रहा है। फलतः आज गुजराती औरतो में आत्मविशवास, स्वावलंबन और स्वाभिमान कुट-कुट कर भरा है। इसके कई उदाहरण मुझे अपने अनगिनत वडोदरा प्रवासों के दौरान देखने को मिले।
यों तो नारी सशक्तीकरण का नारा हर राजनेता, राजनीतिक पार्टी और समाज सुधारक लगाता है, लेकिन इसका सजीव उदाहरण हमें गुजरात में देखने को मिलता है।
ऐसा बिलकुल नही है कि आज मेरे उपर Vibrant Gujarat का रंग चढा हुआ है या मै नरेन्द्र मोदी का चाहने वाला हूँ। नारी सशक्तीकरण की दिशा में गुजरात मे राजनीतिक ईच्छा शक्ति की हालत का मुझे पता नही है। मेरे हिसाब से गुजरात की सशक्त नारी के पीछे है वहाँ का सामाजिक परिवेश।
गुजरात एक ऐसा राज्य है जहाँ से काफी पुरूष काम काज के सिलसिले में विदेश चले जाते हैं। मजबुरन औरतों को घर से बाहर कदम निकालना पडता है, कभी बच्चों के लिये तो कभी घर के दैनिक काम-काज के लिये। धीरे-धीरे उनका आत्मविशवास और स्वाभिमान बढने लगता है। ऐसा कई दशको से चल रहा है। फलतः आज गुजराती औरतो में आत्मविशवास, स्वावलंबन और स्वाभिमान कुट-कुट कर भरा है। इसके कई उदाहरण मुझे अपने अनगिनत वडोदरा प्रवासों के दौरान देखने को मिले।