MERA NAM AJAY KUMAR HAI MAI BIHAR KE MADEPURA DIST KA RAHNE WALA HU MAI GAY PALTA HU MERE PAS EK GAY OR MAI EK YADO GAY LENE KA PLAN KR RAHA AAP MUJHE COW PALNE KA KAMPLIT HINDI BOOK UPLABDH KARA DEJIYE JISSE MUJHE COW PALNE MAI SUBDHA HAO AAP KA SADA ABHARI RAHUNGA MY MOB 9852879903 WHATSAPP NO 9852879903
MERA NAM AJAY KUMAR HAI MAI BIHAR KE MADEPURA DIST KA RAHNE WALA HU MAI GAY PALTA HU MERE PAS EK GAY OR MAI EK YADO GAY LENE KA PLAN KR RAHA AAP MUJHE COW PALNE KA KAMPLIT HINDI BOOK UPLABDH KARA DEJIYE JISSE MUJHE COW PALNE MAI SUBDHA HAO AAP KA SADA ABHARI RAHUNGA MY MOB 9852879903 WHATSAPP NO 9852879903
Posts: 6,843
Threads: 4
Joined: Mar 2015
ग्रामीणों क्षेत्र के लोगों को उनकी आजीविका के साधनों को बढ़ावा देने के लिए कई तरह की योजनाएं केंद्र एवं राज्य सरकार द्वारा संचालित की जाती हैं। इन योजनाओं पर अनुदान का भी प्रावधान रखा गया है। किसान व आम ग्रामीण अनुदान प्राप्त कर आजीविका के साधनों को बेहतर बना सकते हैं। इसके लिए जरूरी है कि अनुदान की प्रक्रियाओं को जानें। पंचायतनामा के इस अंक में हम दूध उत्पादन करने वाले लोगों को योजनाओं और अनुदान पर जानकारी मुहैया करा रहे हैं।
गांव की आर्थिक संरचना को मजबूत करने में दुग्ध-उत्पादन का महत्वपूर्ण योगदान है। गांवों में हो रहे दुग्ध-उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए सरकार कई तरह से डेयरी योजनाओं के विकास पर काम कर रही है। ग्रामीण बड़े पैमाने पर दूध का उत्पादन कर सकते हैं और इसके लिए राज्य सरकार के पशुपालन विभाग की ओर से कई तरह की सुविधाएं मुहैया करायी जा रही हैं। दूध उत्पादन करने की चाहत रखने वाले लोगों को दुधारू मवेशी योजना के तहत ग्रामीणों को उन्नत प्रजाति का मवेशी दिया जाता है।
दुधारू मवेशी योजना
ग्रामीण क्षेत्र के गरीबी रेखा से नीचे गुजर-बसर करने वाले लोगों के लिए दुधारू मवेशी योजना के तहत लाभ देने का काम किया जाता है। इस योजना के अंतर्गत दुग्ध उत्पादन करने वाले को 50 प्रतिशत अनुदान एवं 50 प्रतिशत ऋण पर दो दुधारू मवेशी दिये जाते हैं। दुधारू मवेशी गाय अथवा भैंस हो सकते हैं। प्रत्येक मवेशी छह माह के अंतराल पर दिया जाता है। योजना लागत में जानवर की खरीद के लिए 70,000 रुपये दिये जाते हैं। इसके अलावा मवेशियों को रखने के लिए गौशाला के निर्माण के लिए 15,000 रुपये दिये जाते हैं। इसके अलावा तीन वर्षों के लिए जानवरों के लिए बीमा प्रीमियम कराया जाता है। इसके लिए 8000 रुपये का लाभ दिया जाता है।
मिनी डेयरी (पांच दुधारू मवेशी के लिए)
सरकार की ओर से मिनी डेयरी योजना चलायी जा रही है जिसके लिए दुग्ध-उत्पादन करने वालों को अनुदान दिया जाता है। प्रगतिशील किसानों और शिक्षित युवा बेरोजगार को इस योजना के तहत पांच दुधारू मवेशी उपलब्ध कराया जाता है। ये मवेशी गाय अथवा भैंस हो सकते हैं। इस योजना के तहत 50 प्रतिशत अनुदान एवं 50 प्रतिशत बैंक लोन पर पांच दुधारू मवेशी दिया जाता है। दो चरणों में लाभुक को मवेशी दिया जाता है। पहले चरण में तीन मवेशी और छह माह के बाद दो मवेशी की खरीद के लिए पैसा बैंक के माध्यम से दिया जाता है। योजना लागत में मवेशी की खरीद के लिए 1,75,000 रुपये, शेड निर्माण के लिए 45,000 रुपये तथा तीन वर्षों के लिए मवेशियों के बीमा प्रीमियम के लिए 20,000 रुपये लाभुक को दिये जाते हैं।
मिनी डेयरी (दस दुधारू मवेशी के लिए )
युवा शिक्षित बेरोजगार तथा प्रगतिशील किसानों को एक दूसरे योजना के अंतर्गत दुग्ध-उत्पादन के लिए दस दुधारू मवेशी दिया जाता है। इस योजना का लाभ स्वयं सहायता समूह भी ले सकते हैं। सभी को 40 प्रतिशत अनुदान एवं 60 प्रतिशत बैंक लोन पर दुधारू जानवर उपलब्ध करवाया जाता है। योजना के माध्यम से छह माह के अंतराल पर पांच-पांच मवेशी दिये जाते हैं। दुग्ध-उत्पादन के लिए इस योजना के माध्यम से 3,50,000 रुपये तथा शेड निर्माण के लिए 90,000 रुपया लाभुक को दिया जाता है।
दुग्ध-उत्पादन को बेहतर स्वरोजगार के रूप में अपनाया जा सकता है। दुग्ध-उत्पादन को रोजगार में अपनाने की चाहत रखने वाले लोग अपने जिले के जिला गव्य विकास पदाधिकारी से इस संबंध में अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। इसके अलावा वे अपने निकटतम डेयरी पशु विकास केंद्र तथा जिला पशुपालन पदाधिकारी से संपर्क कर दुग्ध-उत्पादन, मवेशी और अनुदान के विषय पर जानकारी ले सकते हैं।
केंद्र सरकार की भी हैं योजनाएं
दुग्ध-उत्पादन के लिए केंद्र सरकार की ओर से भी कई योजनाओं को संचालित किया जाता है। इसके लिए दुग्ध उत्पादकों को कई तरह के अनुदान दिये जाते हैं। डेयरी इंटरप्रेन्योरशिप डेवलपमेंट स्कीम के तहत दुग्ध-उत्पादन करने वालों को वित्तीय सहयोग किया जाता है। यह वित्तीय सहयोग छोटे किसानों तथा भूमिहीन मजदूरों को प्रमुख रूप से दिया जाता है। डेयरी इंटरप्रेन्योरशिप डेवलपमेंट स्कीम भारत सरकार की योजना है, जिसके तहत डेयरी और इससे जुड़े दूसरे व्यवसाय को प्रोत्साहित करने के लिए वित्तीय सहायता दी जाती है। इसके तहत छोटे डेयरी फार्म खोलने, उन्नत नस्ल की गाय अथवा भैंस की खरीद के लिए पांच लाख रुपये की सहायता की जाती है। यह राशि दस दुधारू मवेशी की खरीद के लिए दिया जाता है।
इसके अलावा जानवरों के मल से जैविक खाद बनाने के लिए एक यूनिट की व्यवस्था करने के लिए 20, 000 रुपये की मदद मिलती है। किसान, स्वयंसेवी संस्था, किसानों के समूह आदि इस योजना का लाभ ले सकते हैं। यदि किसान अनुसूचित जाति अथवा जनजाति समुदाय से आते हैं तो उन्हें अनुदान पर विशेष छूट मिलती है। इस योजना का संपादन भारत सरकार नाबार्ड की सहायता से करता है। नाबार्ड के सहयोग से डेयरी उद्योग प्रारंभ करने के लिए छोटे किसानों और भूमिहीन मजदूरों को बैंक की ओर से लोन दिलाया जाता है। बैंक से लोन प्राप्त करने के लिए किसान अपने नजदीक के वाणिज्यिक बैंक, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक अथवा को-ऑपरेटिव बैंक को मवेशी की खरीद के लिए प्रार्थना पत्र के साथ आवेदन कर सकते हैं। ये आवेदन प्रपत्र सभी बैंकों में उपलब्ध होते हैं।
बड़े पैमाने पर दुग्ध-उत्पादन के लिए डेयरी फॉर्म की स्थापना के लिए एक प्रोजेक्ट रिपोर्ट देना होता है। संस्था द्वारा दिये जाने वाले वित्तीय सहयोग में मवेशी की खरीद, शेड के निर्माण और जरूरी यंत्रों की खरीद आदि शामिल है। प्रारंभिक एक व दो महीने के लिए मवेशियों के चारा का इंतजाम के लिए लगने वाली राशि को टर्म लोन के रूप में दिया जाता है। टर्म लोन में जमीन के विकास, घेराबंदी, जलाशय, पंपसेट लगाने, दूध के प्रोसेसिंग की सुविधाएं, गोदाम, ट्रांसपोर्ट सुविधा आदि के लिए भी लोन देने के विषय में बैंक विचार करता है। जमीन खरीदने के लिए लोन नहीं दिया जाता है।
पूरी जानकारी मुहैया कराना है जरूरी
इस संबंध में एक योजना का निर्माण किया जाता है। यह योजना राज्य पशुपालन विभाग, जिला ग्रामीण विकास अभिकरण, डेयरी को-आपेरेटिव सोसाइटी तथा डेयरी फार्मस के फेडेरेशन को स्थानीय स्तर पर नियुक्त तकनीकी व्यक्ति की सहायता से तैयार किया जाता है।
लाभुक को राज्य के कृषि विश्वविद्यालय में डेयरी के प्रशिक्षण के लिए भी भेजा जाता है। योजना में कई तरह की जानकारियों को शामिल किया जाता है। इसमें भूमि का विवरण, पानी तथा चारागाह की व्यवस्था, चिकित्सीय सुविधा, बाजार, प्रशिक्षण तथा किसान का अनुभव तथा राज्य सरकार अथवा डेयरी फेडेरेशन की सहायता के विषय में जानकारी दिया जाना जरूरी है। इसके अलावा खरीद किये जाने वाले मवेशी की नस्ल की जानकारी, मवेशी की संख्या तथा दूसरी संबंधित जानकारी मुहैया कराना होता है। इस योजना को बैंक को जमा कराया जाता है। इस योजना को बैंक पदाधिकारी विश्लेषण करते हैं और योजना के रिस्क और रिपेमेंट पीरियड के बारे में जानकारी प्राप्त करते हैं।