bal majuri viruddh mohim social worker
#1

who is the bal majuri viruddh mohim worker
Reply
#2
Abstract

भोपाल के रेल्वे प्लेटफॉर्म पर पॉपकार्न बेचने वाला विनोद अब यह भी नहीं जानता कि उसका घर कहां है ? विनोद अभी सात साल का है और पिछले तीन सालों से तो वह इसी प्लेटफॉर्म या उसके आसपास ही रहता आया है. उसके साथ रहती है उसकी गरीबी, भूख, असहायता और इन सबसे हर रोज की जद्दोजहद करती उसकी ज़िंदगी.

वह कभी प्लेटफॉर्म पर पॉपकार्न बेचता है, तो कभी रेल्वे कंपार्टमेंट में झाड़ू लगाता है. सोने का ठिकाना प्लेटफॉर्म, रिश्तेदारों के नाम संग फिरते चंद मासूम और शत्रुओं के नाम पर पुलिस और यह व्यवस्था. प्लेटफॉर्म पर रहने वाला अकेला विनोद नहीं हैं अपितु विनोद की तरह राज्य में हज़ारों बच्चे प्लेटफॉर्म को अपना आशियाना बनाये हुये हैं. अध्ययन कहता है कि भोपाल में रोजाना तीन नये बच्चे प्लेटफॉर्म पर आते हैं.

कबाड़खाने में काम करने वाला जुनैद उम्र- 8 साल पिछले दो वर्षों से मेकेनिकी सीख रहा है. सुबह 8 बजे से गैरॉज खोलता है और रात 10 बजे अपने घर लौटता है. वह 14 घंटे काम करता है और उसे मिलते हैं माह के 400 रूपये. वह अभी सीख रहा है, जब सीख जायेगा तो सीधा दूना यानि 800 रूपया मिलने लगेगा यानि 26 रूपया प्रतिदिन. जिस दिन काम नहीं, उस दिन पैसा भी नहीं. जुनैद ने न तो कभी स्कूल का मुँह देखा है और न ही जीवन के इस चक्रव्यूह में फंसने के बाद इसकी कोई उम्मीद है.

हमारे देश ने अंर्तराष्ट्रीय प्रतिबध्दताओं में यह माना है कि बच्चा यानि वह जिसने 18 वर्ष की उम्र पूरी ना की हो (बाल अधिकारों के लिये अंर्तराष्ट्रीय प्रतिबध्दता अनुच्छेद 1). वहीं संविधान 14 वर्ष की उम्र तक को ही बच्चा मानता है और उसी आधार पर अपने आंकड़े प्रस्तुत करता है. यही कारण है कि 14-18 वर्ष तक के बच्चों की कार्यशील जनसंख्या का कोई भी निश्चित ब्यौरा हमारे समक्ष नहीं है. इस जनसंख्या का एकमात्र स्त्रोत जनगणना है जिसके आंकड़े जब तक हमारे सामने आते हैं, वह संख्या कहीं और पहुंच चुकी होती है.

बच्चों के मामले में विसंगतियों की चाहरदीवारी इतनी ऊंची है कि कोई इसे चाह कर भी नहीं लांघ सकता. 0-6 वर्ष तक के बच्चों के लिये महिला एवं बाल विकास विभाग उत्तरदायी है. उसके बाद यानी 6-14 वर्ष तक के बच्चों के लिए शिक्षा विभाग की जिम्मेवारी तय की गई है. लेकिन 14-18 वर्ष तक की उम्र का कोई माई-बाप नहीं है.

परिभाषाओं की विसंगतियों का हाल ये है कि 10 अक्टूबर 2006 से पहले खतरनाक और गैर खतरनाक उद्योगों के मकड़जाल में ही हमारे क़ानून उलझे हुए थे. ज़रा सोचिये कि किसी बच्चे के काम करने को खतरनाक और गैर खतरनाक में कैसे बांटा जा सकता है, क्योंकि एक बच्चे के लिये तो काम करना ही सबसे खतरनाक है.
बहरहाल, बालश्रम अधिनियम 1986 में संशोधन के बाद केवल इतना भर हुआ कि घरों, ढांबों और होटलों में भी बच्चों का काम पर रखा जाना दंडनीय अपराध हो गया. इसके अनुपालन के लिए बाल श्रमिकों के मालिकों ने अपने संस्थान के बाहर “हमारे यहां कोई भी बाल श्रमिक नहीं है” का बोर्ड लगाकर अपने कर्तव्य की इतिश्री मान ली और श्रम विभाग ने इन बोर्डों के प्रति पूरी आस्था जताते हुए इन बोर्डों के पीछे के भयानक सच से अपनी आंखें मूंद लीं.

बदलते दौर की विडंबना यह भी है कि सर्वाधिक बालश्रमिक 12-15 वर्ष के ही हैं ओर 18 वर्ष तक के बच्चों की संख्या करोडों में है, जिनकी गणना करना टेढ़ी खीर है. ज़ाहिर है, सरकारों की भी दिलचस्पी इनमें नहीं है.
वर्ष 2001 की जनगणना के अनुसार मध्यप्रदेश में 5-14 वर्ष तक के बाल श्रमिकों की संख्या 10,65, 259 थी, जबकि भारत में यह संख्या 1 करोड़ 26 लाख 66 हजार 377 थी.

सर्वशिक्षा अभियान के अनुसार जुलाई माह में प्रदेश में कुल 71000 बच्चे ही स्कूल की परिधि से बाहर हैं, लेकिन वास्तविकता कुछ और ही है. वर्ष 2005-06 में यह आंकड़ा 472242 था, जो वर्ष 2006-07 में 296979 बचा और चालू वर्ष में 71000 हो गया.

वास्तविकता यह नहीं हैं जो दिखाई जा रही है, वास्तविकता वह है जो दिखाई नहीं जाती. एक स्वयंसेवी संस्था द्वारा भोपाल की झुग्गी बस्तियों में स्कूल से बाहर बच्चों की संख्या जानने हेतु किये गये सर्वेक्षण से यह बात उभरती हैं कि अकेले भोपाल के झुग्गी क्षेत्रों में 23000 बच्चे शिक्षा की परिधि से बाहर हैं.
जब राजधानी में बच्चों की यह स्थिति है तो फिर मंड़ला, डिण्डौरी तथा झाबुआ जिलों का अनुमान लगाना मुश्किल नहीं है.
मध्यप्रदेश के रायसेन जिले में किये गये 300 बाल श्रमिकों का अध्ययन यह बताता है कि 176 बाल श्रमिक पूर्ण रूप से निरक्षर हैं, 114 कभी अध्ययनरत रहे हैं तथा महज 7 बच्चे ही माध्यमिक स्तर में अध्ययनरत रहे हैं. यह स्थिति रायसेन जिले की है, जहां सर्वाधिक साक्षरता दर्ज की गई थी.
100 नियोक्ताओं से कानून की जानकारी देते हुये शिक्षा के संदर्भ में सवाल किया गया तो नियोक्ताओं का यह मानना था कि शिक्षा से कुछ नहीं होगा बल्कि काम करेंगे तो ये आगे बढेंगे.

वहीं दूसरी ओर नगरीय क्षेत्र, भोपाल के 148 संगठनों के 9 से 12 वर्ष तक के 200 बाल मजदूरों पर किये गये अध्ययन से यह तथ्य उभरकर सामने आया कि 97 फीसदी बाल श्रमिक बीमार थे और 160 बच्चे नशाखोरी जैसी बुरी आदतों में लिप्त पाये गये. ये श्रमिक रोजाना 12 से 15 घंटे काम करते हैं और 150 रूपया मासिक मेहनताना पाते हैं.

महज़ 2 फीसदी बच्चे ही ऐसे पाए गए जिन्हें 350 रूपया मासिक मिलता है. इन बच्चों को सालाना 10 से 12 दिन का अवकाश भी मिलता है.

आज की स्थिति में जहां सरकार सार्वजनिक क्षेत्रों से अपने हाथ लगातार खींच रही है, सरकार देश की एक चौथाई आबादी को साफ पीने का पानी भी उपलब्ध नहीं करा पाई हैं, ऐसे में यह कहां तक संभव है कि सरकार बाल श्रम का उन्मूलन कर देगी ? और जब यह सरकार नहीं कर पायेगी तब यही होगा कि सरकार को विनोद और रईस जैसे लाखों- करोड़ों बाल श्रमिक नहीं दिखेंगे और जब ये नहीं दिखेंगे और परिभाषाओं के संजाल में नहीं आयेंगे तो किस बात का पुनर्वास ?
Reply

Important Note..!

If you are not satisfied with above reply ,..Please

ASK HERE

So that we will collect data for you and will made reply to the request....OR try below "QUICK REPLY" box to add a reply to this page
Popular Searches: who operate bal majuri mohim, bal kamagar samsya, bal gunhegari ek samasya short essay in english, recent baal majuri virudh mohim, bal kamgar act information in marathi in pdf, bal majuri opposite mohim, which social worker against of bal majuri,

[-]
Quick Reply
Message
Type your reply to this message here.

Image Verification
Please enter the text contained within the image into the text box below it. This process is used to prevent automated spam bots.
Image Verification
(case insensitive)

Possibly Related Threads...
Thread Author Replies Views Last Post
  to estimate the charge induced on each one of the two identical pith bal 0 674 10-11-2017, 09:50 PM
Last Post: Guest
  corporate social responsibility of airtel pdf 1 561 27-05-2017, 04:28 PM
Last Post: jaseela123d
  download project report on social networking site in asp net free download 1 792 27-05-2017, 03:18 PM
Last Post: jaseela123d
  work to worker services to unorganized sector in java with source code 1 533 08-05-2017, 11:11 AM
Last Post: jaseela123d
  bal kamgar ek samasaya essay in marathi 1 1,406 03-05-2017, 11:59 AM
Last Post: jaseela123d
  download powerpoint presentation on social media boon or bane 1 656 11-04-2017, 12:25 PM
Last Post: jaseela123d
  draft a social message for your chocolate label 1 1,314 04-10-2016, 09:35 AM
Last Post: amrutha735
  social network advantage disadvantage in marathi 1 561 20-09-2016, 09:35 AM
Last Post: ijasti
  corporate social responsibility of parle g FOR JOB 2 436 26-08-2016, 03:53 PM
Last Post: anasek
  social networking boon or bane ppt 2 588 17-08-2016, 02:21 PM
Last Post: dhanabhagya

Forum Jump: